Detailed Notes on hindi kahani story
Detailed Notes on hindi kahani story
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के पात्र सामान्य कोटि के मजदूर, किसान आदि पात्र हैं जिनका सम्बन्ध ग्रामों और नगरों के
अस्वाभाविक न लगे। जिस चरित्र को वह प्रस्तुत कर रहा है, वह समाज के अन्दर
साहित्यिक रूप है। इस कहानी को हमने कभी दादी-नानी के मुख से लोक कथा के रूप में
ने इस विधा को आगे बढ़ाने के लिए अपनी लेखनियाँ उठायी। जिनमें जयशंकर प्रसाद, चन्द्रधर गुलेरी, सेन शास्त्री, सुदर्शन आदि
प्रमुख कहानियाँ हैं - चरणों की दासी, रोगी, परित्यक्ता, जारज, अनाश्रित, होली, धन का - अभिशाप, प्रतिव्रता या पिशाची, एकाकी, मैं,
कहानी के जोबन का उभार और बोल-चाल की दुलहिन का सिंगार किसी देश में किसी राजा के घर एक बेटा था। उसे उसके माँ-बाप और सब घर के लोग कुँवर उदैभान करके पुकारते थे। सचमुच उसके जीवन की जोत में सूरज की एक सोत आ मिली थी। उसका अच्छापन और भला लगना कुछ ऐसा न था जो इंशा अल्ला ख़ाँ
कहानियों की संख्या में वृद्धि करने वाले अन्य कहानीकारों में, गंगा प्रसाद विमल, दूधनाथ सिंह, राजकमल चौधरी, गिरिराज किशोर, सुरेश सिंन्हा
आदि । पिजड़े की उड़ान, फूलों का कुर्ता, धर्मयुद्ध, सच बोलने की भूल, आदि आपके कहानी
क्रियाशील मानव की भाँति प्रतीत हो। वह उसके द्वारा ऐसे कार्य नहीं करा सकता जो
की 'नीच जात' धरा, मुरदा सराय, अँधेरा हँस्ता है, मार्कण्डेय की 'हंसा जाई अकेला' 'भूदान', शेखर जोशी की 'तर्पण', राजेन्द्र अवस्थी
दो मछलियाँ और मेंढक : पंचतंत्र की कहानी
आदि अनेक कहानीकारों की रचनाएं बहुत प्रसिद्ध हुई ।
हिन्दी कहानी का उद्भव व विकास प्रस्तावना
है। क्योंकि आज का कहानीकार कहानी की घटना को मानव के यथार्थ जीवन से जोड़ता कहानी